कसरत-आराई-ए-वहदत[1] है परस्तारी-ए-वहम[2]
कर दिया काफ़िर इन असनामे-ख़याली[3] ने मुझे
हवसे-गुल का तसव्वुर[4] में भी खटका न रहा
अजब आराम दिया बे-परो-बाली[5] ने मुझे
शब्दार्थ:
- ↑ एकत्व की अनेक रूपता
- ↑ भ्रम की पूजा
- ↑ काल्पनिक प्रतिमाएं
- ↑ कल्पना
- ↑ पंखों का न होना