दिल मेरा सोज़े-निहां[1] से बेमहाबा[2] जल गया
आतिशे-ख़ामोश[3] के मानिन्द गोया जल गया

दिल में ज़ौक़े[4]-वस्लों[5]-यादे-यार तक बाक़ी नहीं
आग इस घर को लगी ऐसी कि जो था जल गया

मैं अ़दम[6] से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल[7] बारहा[8]
मेरी आहे-आतशीं[9] से बोले-अ़न्क़ा[10] जल गया

अर्ज़ कीजे जौहर-ए-अन्देशा[11] की गर्मी कहाँ
कुछ ख़याल आया था वहशत का कि सेहरा जल गया

दिल नहीं, तुझ को दिखाता वरना दाग़ों की बहार
इस चिराग़ां का करूँ क्या, कारफ़र्मा[12] जल गया

मैं हूँ और अफ़सुर्दगी[13] की आरज़ू "ग़ालिब" के दिल
देखकर तर्ज़े-तपाके[14]-अहल[15]-ए-दुनिया जल गया

शब्दार्थ:
  1. आंतरिक जलन
  2. एकदम
  3. मूक आग
  4. चाह
  5. मिलन
  6. अस्तित्वहीनता
  7. बे-परवाह
  8. कई बार
  9. जलती हुई आह
  10. अ़नक़ा नामक पक्षी का पंख
  11. चिंता की प्रकृति
  12. कार्यकर्ता
  13. उदासी
  14. व्यवहार का ढंग
  15. लोग
Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel