सरापा[1] रहने-इश्क़[2]-ओ[3]-नागुज़ीरे-उल्फ़ते-हस्ती[4]
इबादत बरक़[5] की करता हूं और अफ़सोस हासिल[6] का

बक़दरे-ज़रफ़[7] है साक़ी ख़ुमारे-तश्नाकामी[8] भी
जो तू दरिया-ए-मै[9] है, तो मैं ख़मियाज़ा[10] हूं साहिल का

शब्दार्थ:
  1. सिर से पांव तक
  2. प्रेम पर अर्पित
  3. और
  4. जीवन-प्रेम के सामने असहाय
  5. बिजली
  6. फसल
  7. सामर्थ्य के अनुसार
  8. प्यास का नशा
  9. शराब की नदी
  10. अंगड़ाई, अंत
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