सर गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है
तस्कीं को दे नवेद के मरने की आस है

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel