तुम एक आवाज तो दो
मै अनंत हु
पर सिमट सकता हु
तुम्हारे आँचल में ,
तुम एक कोशिश तो करो ।
मै कठोर हु पत्थर सा
पर पिंघल सकता हु
मोम की तरह ,
तुम एक आंच तो दो ।
मै भटका राही हु
पर पहुच सकता हु
अपनी मंजिल पर
तुम चन्द कदमो तक साथ तो दो ।
मै मुरझाया ,गुलाब हु
फिर खिल सकता हु
मुस्कुराते हुए
बस मुझे इश्क की इक बयार तो दो ।
थका हुआ हु मै
पर फिर बड़ सकता हु
मै इन राहों पर
बस तुम एक आवाज तो दो ।
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