मै और मेरी तनहाई
जब रात गहराती है
मै सुनता हूँ मेरी तनहाई गाती है
साय-साय कर संगीत है बजता ।
आसमां में होले-होल चाँद है चलता ।
इस गीत पर इस संगीत पर नृत्य करती है रात ।
ऐसे तन्हा वक़्त में दिल छेड़ता है बिसरी बात ।
मंद पवन चल के यादो की चादर बिछाती है ।
मै सुनता हु मेरी तन्हाई गाती है .............
दूर कही बारह का घड़ियाल है बजता ।
छोड़ेगी साथ मेरा तनहाई ऐसा है लगता ।
पल तनहा ना होगा , होगा किसी का साथ ।
और फिर साथ देती ये अँधेरी रात ।
संग मेरी तनहाई के अँधेरा बढता जाता है ।
काली रात का मदहोश नशा मुझ पर छाता है।
ये काली रात नागिन सी छा जाती है ।
मै सुनता हु मेरी तन्हाई गाती है ..............
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