तुम थी तो
तुम थी तो महफ़िल खुशनुमा थी ।
सांझ हसी थी रात जवा थी ।
हवा लेती थी अंगडाइया ।
बतियाती थी परछाइया ।
तुम थी जिंदगी रंगी थी ।
हर तरफ खुशिया बिछी थी ।
आँखों में सपने थे ।
सारे सपने जैसे अपने थे ।
बसंत की बहार सुहाती थी ।
कोकिल भी मीठा गाना गाती थी ।
तुम थी चैन भी खोता था ।
नींद भी उड़ जाती थी ।
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