उसकी आँखे

 

मैंने देखा उसकी आखो में
और मोहब्बत की इबारत पड़ी है ।
मेरी राहों में  मेरी बाहों में
और मेरी यादो में वो खड़ी है ।
में डूबा भी हु मोहब्बत के उस समंदर में
जो उसकी आँखों में लहराता है।
उसके हुस्न में नहीं उसका योवन
उसकी आँखों में बलखाता है  ।
उसकी आँखों में एक सहर है
उस सहर की कोई सांझ नहीं ।
उसकी आँखों से छलके है वो सुन्दरता
जिसकी तुलना में कोई मुमताज नहीं ।

  

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