प्रिये ! आई शरद लो वर!

सुभग ताराभरण पहने

मुक्त घन अवरोध से अब

चंन्द्र वदनी, अमल ज्योत्सना

के दुकूलो में रुचिर सज

मुग्ध प्रमदा यामिनी

संवर्धित है प्रति दिवस त्वर
प्रिये ! आई शरद लो वर!
Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel