- लो प्रिये हेमन्त आया!
बाहुयुग्मों पर विलासिनि
- के वलय अन्गद नहीं हैं
नव दुकूल न नितम्बों पर
- कमल श्री पद में नहीं है,
पीन उन्नत स्तनों पर
- अंशुक नहीं वे सूक्ष्म दिखते,
हेम रत्न प्रदीप्त मेखल
- से नितम्ब न और सजते,
नुपूरों में हंस रव
- बजता न पग-पग पर गुंजाया
- प्रिये हेमन्त आया!