- लो प्रिये हेमन्त आया!
नव प्रवालोद्गम कुसुम प्रिय, लोध पुष्प प्रफुल्ल सुन्दर,
पके शाली, तुहिन हत हो पद्य खोये मलिन होकर,
किन्तु कुसुम राग रंजित अब विलासिनि पनिस्तन है,
रूपरशालिनि वक्ष पे अब कुन्द इन्दु तुषार सित है
हरि मोती के रहे हिल, नयन में उल्लास छाया,
- लो प्रिये हेमन्त आया!