परिचय-
बच्चे को जन्म देने के बाद स्त्रियों के शरीर की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। मांसपेशियों की शक्ति बनाए रखने के लिए प्रसव के बाद मालिश करना जरूरी होता है। मालिश के लिए कमरा छोटा, कम रोशनीदार और हवादार होना जरूरी होता है। मालिश के समय अपने कमरे में हल्की मधुर ध्वनि बजा सकते हैं।
मालिश करने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। मालिश करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून छोटे रखने चाहिए। साफ सूती कपडे़ का प्रयोग करना चाहिए। मालिश के लिए पहले अपनी अंगुलियों के अगले भाग का प्रयोग करना चाहिए। अंगुलियों को गोल आकृति में घुमाएं जिससे तेल शरीर पर लग जाए। फिर अंगुलियों से शरीर पर कुछ दबाव डालें। अन्त में हथेली के सहारे दबाकर मालिश करनी चाहिए।
मालिश करने से शरीर में रक्त का संचार अधिक होता है और मांसपेशियां कसी हुई और कठोर बन जाती है। मालिश के लिए बादाम रोगन, तिल का तेल, ओलिव आइल या फिर अन्य तेल का प्रयोग कर सकते हैं। शरीर के किसी भी जोड़ को खींचना, जोर-जोर से शरीर पर हाथ मारना या मांसपेशियों को अधिक घुमाना हानिकारक होता है।
मालिश करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती, अधिक रक्त का संचार, ताजगी, गठीलापन और निखार आता है।
चेहरे की मालिश-
माथे पर दोनों हाथों की एक अंगुली को मध्य में रखकर पहले तेल को लगाते हुए अंगुलियों को दोनों ओर खींचना चाहिए।
फिर दोनों हाथों की दो अंगुलियों को माथे के मध्य रखकर तेल लगाते हुए दोनों तरफ खींचना चाहिए।
इसके बाद दोनों हाथों की तीन अंगुलियों को माथें के मध्य में रखते हुए तेल लगाते हुए त्वचा को दोनों ओर खींचना चाहिए।
अब हथेली और अंगुलियों के सहारे माथे की त्वचा को ऊपर की ओर खींचना चाहिए। अपना हाथ एक के बाद एक लगातार प्रयोग में लाना चाहिए।
इसके बाद दोनों हाथों की हथेली को नाक के पास लाकर मिलाते हैं और त्वचा को दोनों तरफ से तेल लगाते हुए दाईं ओर खींचना चाहिए।
अब नीचे वाले जबड़े की त्वचा को अंगुली पर पकड़ें और अंगुली से त्वचा को अन्दर की ओर खींचे।
गर्दन की मालिश-
गर्दन की मालिश के लिए हथेली के पिछले भाग का प्रयोग करना चाहिए और गर्दन की त्वचा को थपथपाते हुए हाथ को अन्दर से बाहर की तरफ लेकर आना चाहिए।
गर्दन की मालिश के लिए बायें हाथ में तेल लगाकर गर्दन के दाहिनी तरफ गर्दन के ऊपरी भाग में रखें। अंगुलियों और हथेली से त्वचा को रगड़ते हुए कंधे लेकर आएं। इस क्रिया को लगातार करते रहना चाहिए। गर्दन की दूसरी तरफ भी इसी क्रिया को दोहराते रहना चाहिए।
बाजुओं की मालिश-
पहले अंगुलियों के अगले भाग द्वारा तेल बाजुओं पर लगायें और फिर हथेली और अंगुलियों द्वारा मालिश करें। मालिश के बीच में मांसपेशियों को दबाते रहना चाहिए। मालिश की दिशा ऊपर से नीचे की ओर रखनी चाहिए।
पीठ की मालिश-
सबसे पहले किसी भी कुर्सी पर उल्टा होकर बैठ जाएं और अपने सामने कोई तकिया लगायें। फिर पीठ की मालिश करते समय पहले हाथों को बीच से बाहर की तरफ ले जाएं तथा फिर ऊपर से नीचे की ओर लाएं।
गर्भवती स्त्रियों की जांघों की मालिश-
हाथों को जांघों पर हल्के हाथों से तेल लगाकर ऊपर से नीचे की ओर मालिश करनी चाहिए। पहले दोनों हाथों से फिर एक-एक हाथ को ऊपर से नीचे मालिश करनी चाहिए तथा अन्त में हाथों को ऊपर से दोनों ओर घुमाते हुए मालिश करनी चाहिए।
पैरों की मालिश-
पैरों की मालिश ऊपर से नीचे की ओर करनी चाहिए और टांगों की मालिश पैरों को उठाकर करनी चाहिए।
घुटने की मालिश-
घुटनों पर तेल लगाकर घुटनों की मालिश करनी चाहिए।
सिर की मालिश-
सिर की मालिश हाथों की अंगुलियों के अगले भाग द्वारा करनी चाहिए।