परिचय-

          हमारा भारत देश आज हर तरह की आधुनिक सुख-सुविधाओं से संपन्न हो चुका है। आज हम विश्व में काफी ऊपर गिने जाते हैं। भारत ने अपने यहां राकेट से लेकर कंप्यूटर तक बनाने में महारत हासिल की है लेकिन एक चीज जो सदियों पहले भी थी और आज भी है, वंश को चलाने के लिए पुत्र की जरूरत। आज भी बहुत से लोगों का मानना यही है कि अगर हमारा पुत्र नहीं होगा तो हमारे वंश का नाम मिट जाएगा। इसी चाह में लोग अपने घर में कई बच्चे पैदा कर लेते हैं। बहुत से लोगों का मानना यह है कि 3 बच्चों के बाद मां की कोख बदल जाती है यानि की उनके घर में अगर 3 लड़कियां होती है तो वह चौथे बच्चे की प्रतीक्षा करते हैं की वह तो लड़का ही होगा। लेकिन यहां पर भी अगर लड़की हो जाती है तो वह बिल्कुल परेशान हो जाते हैं। लेकिन इनके अलावा कुछ लोग ऐसे भी है जो लड़की को माता लक्ष्मी का रूप मानते हैं और चाहते हैं कि उनके घर में एक लड़की जरूर हो। यहां पर कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनको अपनाकर जिनको लड़के की चाह है वह लडका प्राप्त कर सकते हैं और जिनको लडकी की चाह है वह लडकी प्राप्त कर सकते हैं-

          सबसे पहली बात अगर पुत्र प्राप्त करना है तो इसके लिए पुरुष को शक्तिशाली और स्त्री को कमजोर होना जरूरी है। ऐसे ही अगर लड़की चाहिए तो स्त्री को मजबूत और पुरुष को कमजोर होना जरूरी है।

भोजन-

लडका पैदा करने के लिए-


          लड़का पैदा करने के लिए स्त्री और पुरुष को लगभग 6 महीने पहले ही तैयारी करनी पड़ती है। पति को दूध से बनी हुई चीजें जैसे पनीर, दूध, मक्खन, मावा, रबड़ी आदि का सेवन करना चाहिए। लड़का पैदा करने के लिए पुरुष को अपनी पत्नी के साथ संभोग करने से 6 महीने पहले ही खटाई खाना छोड़ देना चाहिए।

          इस दौरान पति को संभोग करते समय कंडोम आदि का प्रयोग करना चाहिए लेकिन 6 महीने तक बताई गई दूध और दूध से बनी हुई चीजों का सेवन करना चाहिए और वीर्य को बढ़ाने वाली औषधियों का सेवन करना चाहिए। इसी तरह के परहेज आदि को पत्नी को भी पति से साथ संभोग करने से 6 महीने पहले करना चाहिए अगर उसे लड़का चाहिए तो। पत्नी को इस दौरान अंगूर, टमाटर, संतरा, तरबूज, केले आदि का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए और निम्नलिखित चीजों को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए जैसे- दूध और उससे बनी हुई चीजें अर्थात जो दूध की चीजें पुरुष को सेवन करनी है वह स्त्री को बिल्कुल भी नहीं खानी है। इनके अलावा गोभी, सेब, खीरा, ककड़ी, गाजर, शलजम, मौसमी और मिर्ची आदि का स्त्री को सेवन नहीं करना चाहिए। 6 महीने तक इतना करने के बाद पति और पत्नी को संभोग की तैयारी करनी चाहिए और पत्नी के मासिकधर्म से छठी, आठवीं. दसवीं, बारहवीं, चौदहवीं और सोलहवीं रात में शुक्लपक्ष पर ही संभोग करें तथा पहली बार संभोग करने के बाद खटाई खाना बिल्कुल बंद कर दें। इसके बाद स्त्री के गर्भ ठहरते ही उसे बछड़े वाली गाय का दूध पिलाना शुरू दें। इससे जरूर ही लड़का पैदा होता है। इस दौरान किसी मंत्र, जप आदि की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन पुरुष का शक्तिशाली होना जरूरी है ताकि उसका लिंग स्त्री की योनि में गहराई तक जाकर घर्षण करें और अगर इस दौरान स्त्री पुरुष से पहले स्रावित हो जाती है तो समझ लें की लड़का ही पैदा होगा। अगर संभोग के दौरान पुरुष पहले और स्त्री बाद में संतुष्ट होती है तो फिर लड़की ही पैदा होती है।

कपडे़-

          लडका पैदा करने के लिए पुरुष को कई महीनों तक ज्यादा टाईट कपड़े नहीं पहनने चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि ज्यादा टाईट कपड़े पहनने से शुक्राणुओं में कमी हो जाती है और लड़की पैदा होती है। इसलिए अगर लड़का ही चाहिए तो पुरुष को ढीले कपड़े ही पहनने चाहिए यहां तक कि अंडर-गार्मेंटस भी ढीले ही पहनने चाहिए। इससे शुक्राणुओं की बढ़ोतरी होकर (वाई) शुक्राणुओं को लाभ मिलेगा।

पेय पदार्थ-

          पुत्र की प्राप्ति के लिए पुरुष को शुक्लपक्ष और मासिकधर्म आने के छठे, आठवें, दसवें, बारहवें, चौदहवें और सोलहवें दिन की रात को स्त्री के साथ संभोग करने से 15 से 30 मिनट पहले 2-3 कप चाय या तेज कॉफी पीनी चाहिए। ऐसा करने से लड़का पैदा करने वाले शुक्राणुओं की गति तेज होती है और उनकी जिंदा रहने की ताकत बनी रहती है। इसी तरह लड़का पैदा करने के लिए स्त्री को भी संभोग करने से पहले कॉफी का डूश लेना चाहिए। अगर स्त्री डूश न ले पाए तो पुरुष को तो कॉफी आदि पी ही लेनी चाहिए। संभोग करने के बाद स्त्री को ठंडा पानी पीना चाहिए।

संभोग के समय आसन-


          पुत्र की प्राप्ति के लिए पति को अपने लिंग को पत्नी के पृष्ठभाग से योनि में प्रवेश कराना चाहिए। ऐसा करने से (वाई) शुक्राणुओं का स्राव सीधे गर्भाशय के द्वार पर ही होता है। गर्भाशय का वातावरण योनि मार्ग की अपेक्षा ज्यादा क्षारीय होता है। योनि मार्ग के अम्लीय वातावरण से ही पुरुष का (वाई) शुक्राणु नष्ट हो जाता है।

बार-बार संभोग करना-

          लडका पैदा हो इसके लिए स्त्री और पुरुष दोनों को ही शुक्लपक्ष की छठी, आठवीं, दसवीं, बारहवीं, चौदहवीं और सोलहवीं रात को बार-बार संभोग करना चाहिए यानि की एक रात में कम से कम 2-3 बार तो इस क्रिया को करना ही चाहिए। ऐसा करने से शुक्राणुओं की संख्यां बढ़ती है और उन अम्लीय तत्वों को मदद मिलती है जिनसे (वाई) शुक्राणुओं को लाभ पहुंचता है और एक्स, वाई मिलकर लड़के का निर्माण करते हैं।

काम-उत्तेजना-

          अगर पति-पत्नी दोनों ही अपनी संतान के रूप में लड़का चाहते हैं तो इसके लिए संभोग क्रिया करते समय पति से पहले पत्नी को ही उत्तेजना की चरमसीमा पर पहुंचना चाहिए। ऐसा अगर संभोग करते समय हर बार हो तो यह लड़का पैदा होने की दृष्टि से बहुत अच्छा रहता है। ऐसे करने से क्षारीय स्राव बढ़कर योनिमार्ग का अम्लीय प्रभाव कम कर देता है जिससे (वाई) शुक्राणुओं को मदद मिलती है और एक्स, वाई आपस में मिलकर लड़का पैदा करते हैं।

तनाव-

          पति और पत्नी को अगर लड़के की चाह है तो उन दोनों को ही संभोग करते समय बिल्कुल तनाव मुक्त रहना चाहिए और अपना सारा ध्यान इसी क्रिया पर लगाना चाहिए।

पुत्री पैदा करने के लिए-

          जिन दम्पतियों को पुत्री की चाह है उन्हे बस पुत्र प्राप्त करने के लिए जो सब बताया गया है उसके विपरीत प्रक्रिया पर चलना है जैसे पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्लपक्ष और समरात्रि में संभोग करना चाहिए वैसे ही पुत्री प्राप्त करने के लिए कृष्णपक्ष और विषमरात्रि मे संभोग की क्रिया करनी चाहिए। इसके अलावा पुरुष को जिन चीजों का सेवन करना बताया गया है उन्हे वह चीजें नहीं सेवन करने चाहिए जैसे पुरुष को दूध और दूध से बने हुए पदार्थों का सेवन करना बताया गया है तो स्त्री को इन चीजों का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना है। इसके अलावा और जो कुछ पुत्र प्राप्ति के लिए होता है पुत्री प्राप्ति के लिए बिल्कुल उसके विपरीत होता है।

गर्भधारण करने के लिए पक्ष और रातें-

    जैसा की पहले ही बताया जा चुका है की पुत्र पैदा करने के लिए शुक्लपक्ष और समरात्रि की 4.6,8,10,12,14,16 तारीख की रात ही सबसे अच्छी रहती है।
    पुरुष अगर चौथे दिन की रात में स्त्री के साथ संभोग करता है तो उसके स्वस्थ और लंबी उम्र का लड़का पैदा होता है।
    छठी रात में संभोग करने से बुद्धिमान पुत्र पैदा होता है।
    आठवीं रात में संभोग करने से बहुत ही अच्छे भाग्य वाला लड़का पैदा होता है।
    दसवीं रात में स्त्री के साथ संभोग करने से धनवान और ऐश्वर्य संपन्न लड़का पैदा होता है।
    बारहवीं रात में संभोग की क्रिया करने से बहुत ही शक्तिशाली बेटा पैदा होता है।
    चौदहवीं रात में संभोग करने से बहुत ही गुणवान लड़का पैदा होता है।
    सोलहवीं रात में संभोग करने से 16 कलाओं में निपुण बेटा पैदा होता है।

जानकारी-

          इन बातों को तो हर किसी व्यक्तियों को ध्यान रखना चाहिए कि ऊपर बताई गई रातें सबसे बेहतर रहती है। चौथी रात से छठी, छठी से आठवीं, आठवीं से दसवीं, दसवीं से बारहवीं सबसे अच्छी रातें होती है। कहने का अर्थ ये है कि आठवीं रात में संभोग करने से जितना ताकतवर लड़का पैदा होता है उसकी अपेक्षा दसवीं रात में संभोग करने से ओर भी ज्यादा ताकतवर लड़का पैदा होता है और इससे भी ज्यादा बारहवीं रात में संभोग करने से और ज्यादा ताकतवर लड़का पैदा होता है। पुराने शास्त्रों में लिखा है कि आठवीं रात में पत्नी के साथ सिर्फ एक ही बार संभोग करने से वह गर्भवती हो जाती है और यकीनन ताकतवर लड़का पैदा होता है। सोलहवीं रात के बाद गर्भ का मुंह बंद हो जाता है इसलिए अठारवीं रात में संभोग करने से स्त्री को गर्भ ठहरता ही नहीं है। यहां पर एक बात बताना और भी जरूरी है कि चौथी, छठी, आठवीं, दसवीं, चौदहवीं और सोलहवीं रात में स्त्री का रज कम और पुरुष का वीर्य बहुत ज्यादा होता है इसलिए लड़का ही पैदा होता है।

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