आरती कीजै जनक लली की।
राममधुपमन कमल कली की

रामचंद्र, मुखचंद्र चकोरी।
अंतर सांवर बाहर गोरी।
सकल सुमंगल सुफल फली की॥ आरती...

पिय दृगमृग जुग बंधन डोरी।
पीय प्रेम रस राशि किशोरी।
पिय मन गति विश्राम थली की॥ आरती...

रूप रासि गुणनिधि जग स्वामिनि
प्रेम प्रवीन राम अभिरामिनि।
सरबस धन हरिचंद अली की॥ आरती...

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel