: नाग जाति के लोगों को वैसे पाताल का वासी माना जाता है। धरती पर ही सात पातालों का वर्णन हमें पुराणों में मिलता है। ये सात पाताल है- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। सुतल नामक पाताल में कश्यप की पत्नी कद्रू से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले सर्पों का 'क्रोधवश' नामक एक समुदाय रहता है। उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग हैं। 

कद्रू जो प्रजापति दक्ष की कन्या हैं तथा कश्यप मुनि की पत्नी, से ही सम्पूर्ण नाग जाती का जन्म हुआ हैं, इसीलिए उन्हें नाग माता के नाम से भी जाना जाता हैं। देवी मनसा, जो भगवान शिव की बेटी हैं,और  जिनका विवाह जरत्कारु नाम के ऋषि के साथ हुआ था उन्हें भी नाग माता कहा जाता हैं | एक समय राजा जनमेजय द्वारा, अपने पिता के नाग दंश से मृत्यु हो जाने पर, नागों को भस्म कर देने वाला नाग यज्ञ हुआ। परिणामस्वरूप सभी नाग, यज्ञ में गिरकर भस्म होने लगे, तदनंतर देवी मनसा के पुत्र आस्तिक द्वारा, ऐसा उपाए किया गया, जिससे नाग यज्ञ बंद हुआ और सभी नागों की रक्षा हुई, तभी से देवी मनसा भी नाग माता के नाम से विख्यात हैं। नाग प्रजाति के मुख्य 12 नाग हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- 1. अनंत 2. कुलिक 3. वासुकि 4. शंकुफला 5. पद्म 6. महापद्म 7. तक्षक 8. कर्कोटक 9. शंखचूड़ 10. घातक 11. विषधान 12. शेष नाग।
 
महाभारत काल में पूरे भारत वर्ष में नागा जातियों के समूह फैले हुए थे। विशेष तौर पर कैलाश पर्वत से सटे हुए इलाकों से असम, मणिपुर, नागालैंड तक इनका प्रभुत्व था। ये लोग सर्प पूजक होने के कारण नागवंशी कहलाए। एक सिद्धांत अनुसार ये मूलत: कश्मीर के थे। कश्मीर का 'अनंतनाग' इलाका इनका गढ़ माना जाता था। कांगड़ा, कुल्लू व कश्मीर सहित अन्य पहाड़ी इलाकों में नाग ब्राह्मणों की एक जाति आज भी मौजूद है। नाग वंशावलियों में 'शेष नाग' को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेष नाग को ही 'अनंत' नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकी हुए फिर तक्षक और पिंगला। वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से 'तक्षक' कुल चलाया था। इन तीनों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।
 
'नागा आदिवासी' का संबंध भी नागों से ही माना गया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी नल और नाग वंश तथा कवर्धा के फणि-नाग वंशियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों में मध्यप्रदेश के विदिशा पर शासन करने वाले नाग वंशीय राजाओं में शेष, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि आदि का उल्लेख मिलता है।
 
पुराणों अनुसार एक समय ऐसा था जबकि नागा समुदाय पूरे भारत (पाक-बांग्लादेश सहित) के शासक थे। उस दौरान उन्होंने भारत के बाहर भी कई स्थानों पर अपनी विजय पताकाएं फहराई थीं। 
इसी कारण भारत के कई शहर और गांव 'नाग' शब्द पर आधारित हैं। मान्यता है कि महाराष्ट्र का नागपुर शहर सर्वप्रथम नागवंशियों ने ही बसाया था। वहां की नदी का नाम नाग नदी भी नागवंशियों के कारण ही पड़ा। नागपुर के पास ही प्राचीन नागरधन नामक एक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक नगर है। महार जाति के आधार पर ही महाराष्ट्र से महाराष्ट्र हो गया। महार जाति भी नागवंशियों की ही एक जाति थी। 
 

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