एक आदमी था उसे एक दोस्त भी था लेकिन उसका दोस्त साधू बन गया था | वह साधू बड़ा ही नेक और त्यागी था , और अच्छे से साधू का जीवन जीता था | एक दिन साधू के गृहस्त मित्र ने शादी कर दी | उसकी बीवी बहुत जवान थी और यह उम्र से बड़ा था | एक दिन उसके बीवी ने लडके को जन्म दिया | उनका परिवार झोपड़ी में नगर से दूर जंगल के पास रहता था | एक दिन उस औरत का पति बहुत बिमार पड़ गया | कभी कभी उस आदमी का साधू मित्र उसे मिलने आता था | अपनी मृत्यु नजदिग आते देखकर उस आदमी ने बहुत सारी स्वर्ण मुद्रावो से भरा हुवा मडका साथ लेकर अपने मित्र को जंगल में जाने को कहा | जब वो दोनों जंगल पहुंचे एक जगह रूककर वह स्वर्ण मुद्रावो से भरा मडका जमीन में गाड दिया और वहा कुछ निशान बना दिया | आदमी सोचता था की उसकी बिवी बहुत जवान है , जब वह मर जायेगा तो उसकी बिवी सारा सोना लेकर दूसरी शादी कर लेगी और उसके लडके का ख़याल नहीं रखेगी |

आदमी ने साधू से कहा उसके मरने के बाद उसका लड़का जब अठारा साल का होगा तब उसे जंगल में ले जाकर उस जगह से सोना निकलने को कहे ताकि वह ठीक से जीवन जी सके | कुछ दिन बाद आदमी मर गया |
साधू ठीक से सन्यासी जीवन जीता था | उसे पैसों का मोह नहीं था |

जब लड़का बड़ा हुवा उसकी मा ने लडके को कहा की उसके पिता ने सोना जंगल में गाड़ दिया था | उस साधू से पूछो की वह उसे वहा तक ले जाए | जब लड़का अठारा साल का हुवा तो वह साधू राजी हुवा | वह हर रोज उसे जंगल में लेकर जाता लेकिन जैसे ही वह कुछ दूर पहुंचते , वह साधू लडके को खरी खोटी सुनाकर गालिया देने लग जाता | ऐसा बहुत दिन हुवा | हलाकी बाकी समय साधू बड़ा अच्छा व्यवहार करता था , एक अच्छे संन्यासी की तरह !

ऐसा बहुत दिन चलता रहा | साधू जंगल में उसे ले जाता , अच्छा व्यवहार करता लेकिन कुछ समय बाद गालिया देते देते लडके को वापस जंगल से बाहर ले आता | बाद में लडका परेशान हो गया | उस नगर में उन दिनों एक बोधिसत्त्व भी रहता था | लडका बोधिसत्त्व के पास राय मांगने चला गया | बोधिसत्व ने लडके को कहा के वह "साधू से फिर कहे के जंगल में चले और उसके पिता ने जहा सोना गाड़ दिया था वो जगह दिखाए | जैसे ही वह साधू गालिया देने लगे उसे बाजू सरका के उसके पैरो के निचे की जमीन खोदना शुरू कर दे | "

लडके ने वैसा ही किया तब उसे उसके पिता ने गाड़ा हुवा सोना मिल गया |

बाद में लडका बोधिसत्व के पास गया ताकि वह शुक्रिया कर सके | लडके ने पूछा के उनको कैसे पता लगा की सोना उसके पैरो के निचे मिलेगा ?
बोधिसत्व ने कहा साधू अच्छा जीवन जीता था , त्यागी था | लेकिन ऐसा उसे क्या हो जाता के वह अशोभनीय व्यवहार करता और गालिया देने लगता | लोभ बड़ी बुरी बला है , वह साधू जब उस जगह आता तो उसमे लोभ और लालच जाग जाता और वह गालिया बकने लगता | इस तरह बोधिसत्व ने अनुमान लगाया के सोना वही गड़ा था जिस जगह आके वह साधू गालिया बकने लगता |

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