एक बार भगवान् बुद्ध एक गांव में ठहरे हुवे थे | वहा एक गरीब आदमी रहता था | जब उसको पता चला के बुद्ध भगवान उसके गांव में ठहरे हुवे है ,वह जल्दी से उनको मिलने केलिए भाग पड़ा | उसने भगवान् बुद्ध से पूछा के उसके पिता कुछ दिन पहले मर चुके है | उसने ब्राह्मणो को बहुत सारे पैसे देकर क्रियाकर्म किया है तो क्या उसके पिता स्वर्ग पहुंच चुके है या नहीं ? भगवान् बुद्ध ने कुछ नहीं कहा | तब पागल होते हुवे उस इंसान ने कहा कृपया करके बताये के उसके पिता स्वर्ग पहुंचे या नहीं ? अगर नहीं पहुंचे तो कुछ कर्मकांड करके उनको स्वर्ग पहुंचा दे |
तब भगवान् बुद्ध ने उसे एक माटी का मडका , घी और छोटे पत्थर लाने को कहा | जब वह वापस आया तो उसे बुद्ध ने घी और पत्थर मडके में डालकर नदी में जाने को कहकर लाठी से मडके को फोड़ने को कहा | और यह भी बताया के अगर घी पानी में डूब जाये और पत्थर तैरने लगे तो तभी वे बतायेंगे के उसके पिता स्वर्ग पहुंचे है या नहीं !
आदमी ने कहा के ये कैसे हो सकता है लेकिन उसने वैसे ही किया | तब पत्थर नदी में डूब गए और घी तैरने लगा | तब वह आदमी समझ गया के जैसा स्वभाव होगा वैसे ही गति मिलती है | भगवान् बुद्ध ने कहा के वह कैसे किसीको को मोक्ष दिला सकते है | जैसा व्यक्ति का स्वभाव होगा वैसे ही उसको गति मिलेगी , फिर चाहे कितने भी कर्मकांड कर लो |