अपने सभा के सदस्य तानसेन से हरिदास के गायन की तारीफ सुन एक बार अकबर ने उनका गीत सुनने की इच्छा जताई | लेकिन हरिदास ने कहा की वह सिर्फ अपने ठाकुर जी के लिए गीत गायेंगे | तो अकबर एक आम व्यक्ति बन कर वहां पहुँच गए | पहले तो तानसेन ने गीत गाना शुरू किया वोही इतना मंत्र मुग्ध करने वाला | थोड़ी देर पश्चात हरिदास ने तानसेन से कहा की वह गाने में त्रुटियाँ कर रहे हैं | जब उन्होनें स्वयं गाना शरू किया तो सारे लोग यहाँ तक की पशु पक्षी भी चुप चाप खड़े वहां उस गीत को सुनने लगे |

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