प्राचीन काल  में भारत में कई विश्‍वविद्यालय मौजूद थे, जहां विश्‍वभर के छात्र पढ़ने आते थे। तिब्बत, नेपाल, श्रीलंका, अरब, यूनान और चीन के छात्रों की संख्या सबसे अधिक होती थी। प्राचीनकाल के तीन विश्‍वविद्यालयों का उल्लेख मिलता है- तक्षशिला का विश्वविद्यालय, ,नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय। 
 
तक्षशिला : तक्षशिला को विश्‍व का पहला विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। हालांकि कुछ विद्वान नालंदा को पहला विश्व विद्यालय मानते हैं। तक्षशिला प्राचीन भारत के गांधार जनपद की राजधानी का नाम तक्षशिला था। यहीं पर यह विश्वविद्यालय 700 ईसा पूर्व स्थापित किया गया था। तक्षशिला वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी जिले की एक तहसील है। अब यहां इस विश्‍वविद्यालय के खंडहर ही विद्यमान हैं। 
तक्षशिला विश्वविद्यालय में करीब 10,500 विद्यार्थी भारतीय और विदेशी छात्र अध्ययन करते थे जिन्हें करीब 2,000 विद्वान शिक्षकों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती थी। उल्लेखनीय है कि पाणिनी, कौटिल्य (चाणक्य), चन्द्रगुप्त, जीवक, कौशलराज, प्रसेनजित आदि महापुरुषों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी।
 
कहा जाता है कि यहां 60 से भी ज्यादा विषयों को पढ़ाया जाता था और यहां एक विशालकाय ग्रंथालय भी था। तक्षशिला नगर का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। रामायण के अनुसार भारत के तक्ष और पुष्कल नामक दोनों पुत्रों ने तक्षशिला और पुष्करावती नामक दो नगर बसाए थे। तक्षशिला सिंधु नदी के पूर्वी तट पर थी।

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