जब किसी नशा, रोग, अत्यधिक चिंता, अत्यधिक कार्य से भीतर के सभी स्नायु, नाड़ियां आदि कमजोर हो जाते हैं। बिलकुल उसी तरह अगर  हम किसी इमारत के सबसे नीचे की मंजिल को खोद दें। ऐसे व्यक्ति की आंखों के सामने बार-बार अंधेरा छा जाता है। उठते समय, बैठते समय या सफर करते समय अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यदि यह लक्षण दो-तीन सप्ताह तक बना रहे तो तुरंत ही किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।

* माना यह भी जाता है कि इस अंधेरा छा जाने वाले रोग के कारण व्यक्ति को  चांद में भी दरार नजर आती है। उसे लगता है कि चांद दो टुकड़ों में है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है ।

* आंखों की कमजोरी से संबंधित ही एक लक्षण यह भी है कि व्यक्ति को दर्पण में अपना चेहरा न दिखकर किसी और का चेहरा दिखने का भ्रम होने लगता है।

* जब कोई व्यक्ति चंद्र, सूर्य या आग से उत्पन्न होने वाली रोशनी को भी नहीं देख पाता है तो ऐसी सम्भावना होती है की ऐसा  इंसान  कुछ माह और जीवित रहेगा |

* जब कोई व्यक्ति पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या उसे अपनी परछाई बदली हुई दिखाई देने लगे तो ऐसा इंसान छह माह का जीवन और जीता है। 

* जिन लोगों की मृत्यु एक माह शेष रहती है वे अपनी छाया को स्वयं से अलग देखने लगते हैं। कुछ लोगों को तो अपनी छाया का सिर भी दिखाई नहीं देता है। 

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel