धन्वंतरि आदि आयुर्वेदाचार्यों ने अपने ग्रंथों में 100 प्रकार की मृत्यु का वर्णन किया है जिसमें 18 प्रमुख प्रकार हैं। नीचे लिखी सभी में एक ही काल मृत्यु है और शेष अकाल मृत्यु मानी गई है। काल मृत्यु का अर्थ है  जब शरीर अपनी आयु पूर्ण कर लेता है और अकाल मृत्यु का अर्थ कि किसी बीमारी, दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि की वजह से समय से पहले मर जाना। 

आयुर्वेदानुसार इसके भी 3 भेद हैं- 1. आदिदैविक, 2. आदिभौतिक और 3. आध्यात्मिक। 

आदिदैविक और आदिभौतिक मृत्यु योगों को हम तंत्र और ज्योतिष के उपयोग से टाल सकते है, परंतु आध्यात्मिक मृत्यु के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इसलिए  मृत्यु के लक्षण चिन्हों के प्रकट होने पर विश्लेषण  के पश्चात उचित निदान करना चाहिए। जब व्यक्ति की समयपूर्व मौत होने वाली होती है तो उसके क्या लक्षण हो सकते हैं। लक्षण जानकर मौत से बचने के उपाय खोजे जा सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार बहुत गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज बहुत ही छोटा, सरल और सुलभ होता है शर्त ये है कि उसकी हमें जानकारी हो और समयपूर्व हम सतर्क हो जाएं।

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