वैदिक कई ऐसे मन्त्र हैं जिनकी साधना करने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है |असावधानी से करने से इनका प्रभाव नहीं पड़ता है और सारा श्रम व्यर्थ हो जाता है |लेकिन साबर की मंत्रो की साधना सरल और आसान होती है | इन सब साधनाओं का अविष्कार गुरु गोरखनाथ ने किया है | 
 
।।ओम गुरुजी को आदेश गुरजी को प्रणाम, धरती माता धरती पिता, धरती धरे ना धीरबाजे श्रींगी बाजे तुरतुरि आया गोरखनाथमीन का पुत् मुंज का छड़ा लोहे का कड़ा हमारी पीठ पीछे यति हनुमंत खड़ा, शब्द सांचा पिंड काचास्फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।।
 
इस मन्त्र को सात बार विधि विधान से पढ़ कर चाकू से अपने चरों तरफ रक्षा रेखा खींच लें तो खुद हनुमानजी साधक की सुरक्षा करते थे | 
 
साबर मन्त्र पढ़ कर कुछ ख़ास अनुभव नहीं होता है लेकिन मंत्रो के जाप से असाधारण सफलता हासिल होती है | कई मन्त्र तो ऐसे हैं जिनको सिद्ध करने की ज़रुरत नहीं होती है थोड़े समय उच्चारण करने से ही उनका प्रभाव दिखने लगता है |किसी भी मन्त्र का १००८ बार जाप करने से मन्त्र की सिद्धि हो जाती है |
 
दूसरी बात साबर मंत्रों की सिद्धि के लिए मन में दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है। जिस साबर मन्त्रों की सिद्धि के लिए दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति का होना ज़रूरी है |जैसी इच्छा शक्ति साधक के मन में होती है उसी तरह का लाभ हासिल होता है | अगर उसके मन में दृढ़ इच्छा है तो किसी परिस्थिति का उसकी साधना पर प्रभाव नहीं पड़ता |
 

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel