प्राचीन समय में जहाँ देवताओं के साथ गन्धर्व रहते थे वहां एक दूसरी जाती में किन्नर लोग भी रहते थे | ये लोग अपनी सुन्दरता के लिए प्राचीन समय से प्रसिद्द हैं |किन्नरों को गायन में निपुण और म्रिदुभाशी माना जाता है |गायन और सौन्दर्य प्राप्त करने के लिए इनकी साधना लाभप्रद है | इसलिए प्राचीन समय से किन्नरियों की साधना ऋषि मुनियों करते हैं | इनका वरदान अति शीघ्र प्राप्त होता है |इन्हें रूप परिवर्तन की अध्बुद कला आती थी |
माना जाता है कि प्रमख रूप से छह किन्नरियों का समूह है- 1. मनोहारिणी किन्नरी 2. शुभग किन्नरी 3. विशाल नेत्र किन्नरी 4. सुरत प्रिय किन्नरी 5. सुमुखी किन्नरी और 6. दिवाकर मुखी किन्नरी। 
 

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