द्रोणाचार्य खुद गरीबी में पले बढे लेकिन उन्होनें धनुर विद्या , सेन्य परिक्षण और युद्ध ज्ञान में महारथ हासिल की | जल्द ही उनकी इस कला को पहचान मिली और भीष्म ने उन्हें कुरु राजकुमारों को प्रशिक्षित करने के लिए कहा |

द्रोणाचार्य युद्ध निति में उत्कृष्ट थे और उन्होनें कौरवों की तरफ से युद्ध किया | हांलाकि वह उत्तम इन्सान नहीं थे लेकिन वह एक उच्च शिक्षक और योद्धा थे | 


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