केंटकी मीट बारिश एक ऐसी घटना थी जहाँ ३ मार्च १८७६ को कुछ मिनटों के लिए रंकिन , बाथ काउंटी. केंटकी में १०० गुणा ५० यार्ड (९१ गुणा ४६ मीटर) के क्षेत्रफल में स्थित एक स्थान पर लाल मीट के टुकड़ों की बारिश हुई | अधिकांश टुकड़े करीबन ५ सेन्टीमीटर (२ इंच) चौकोर आकार के थे; सिर्फ एक टुकड़ा १० सेन्टीमीटर(३.९ इंच) चौकोर आकार का था | इस घटना को साइंटिफिक अमेरिकन , न्यूयॉर्क टाइम्स, और उस समय की कई अन्य प्रकाशनों द्वारा सूचित किया गया था ।

मीट की पहचान
मीट देखने में गोमांस जैसा लग रहा था लेकिन साइंटिफिक अमेरिकन में छपी पहली खबर के मुताबिक "दो सज्जन" जिन्होनें उसे चखा था, का कहना था की यह मटन या हिरन का मांस था | एक स्थानीय शिकारी ने उसे भालू का मांस बताया |

शुरुआत में "मीट" को श्रीमान लियोपोल्ड ब्रन्देइस द्वारा नोस्टॉक की तरह पहचाना गया था | जब ब्रन्देइस ने मीट का नमूना नेवार्क साइंटिफिक एसोसिएशन में अधिक विश्लेषण के लिय दिया तब डॉ अल्लन मक्लेन हैमिलटन ने मेडिकल रिकॉर्ड पत्रिका में एक ख़त लिख बताया की मीट की पहचान एक घोड़े या इंसानी बच्चे के फेफड़े के उतक के तौर पर हुई है"इन दोनों मामलों में अंग की संरचना लगभग एक जैसी होती है।" इस नमूने के और विश्लेषण करने पर दो नमूनों की फेफड़े के उतक , तीन की मांसपेशियों और दो की उपास्थि की तरह पहचान की गयी |

परिकल्पना
इस घटना के कई संभावित स्पष्टीकरणों में से ब्रन्देइस ने इस पदार्थ को नोस्टॉक की तरह पहचाना , एक क्यानोबक्टेरिया की किस्म जो धरती पर पायी जाती है और जो पानी पड़ने पर पारदर्शी जेली जैसे पदार्थ में बदल जाती है , इससे ऐसा लगता है की वो बारिश के साथ गिरी है | चार्ल्स फोर्ट ने अपनी पहली किताब "द बुक ऑफ़ द डामड" में बताया की वहां कोई बारिश नहीं हुई थी | स्थानीय लोगों का मानना है की ये मीट गिद्धों द्वारा उलटी कर निकाला गया होगा "जो की अपने एक साथी को अगर उलटी करते देखते हैं तो बाकी भी वैसे ही करते हैं" डॉ एल डी कास्तेनबीन ने इस स्पष्टीकरण को लौइसेविल चिकित्सा खबर में मीट में विविधता के लिए सबसे उपयुक्त बताया | गिद्ध जब खतरा महसूस करते हैं या भागना चाहते हैं तो वह उलटी की प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं |

फोर्ट ने मीट के टुकड़ों के दबे हुए सूखे रूप को दबाव का नतीजा बताया , और बताया की नों दिन बाद १२ मार्च १८७६ में लन्दन पर "लाल कणों" जिनकी सब्जी जैसी शकल थी की बारिश हुई थी |

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