निषध का राजा नल एक बहुत सुन्दर युवक था। उसने सभी प्रकार के विज्ञान और कला में शिक्षा पाई थी। वह एक निपुण योद्धा और खिलाड़ी था। तेज़ से तेज़ घोड़े को भी वह साध कर रथ में जोत लेता था और रथ चलाने में दुनिया में सबसे अधिक कुशल था। नल का यश दूर-दूर तक फैल चुका था।

एक दिन वह महल के उपवन में सैर कर रहा था कि उसने हंसों के एक झुण्ड को वहाँ उतरते देखा। वह बहुत ही सुन्दर सुनहरे रंग के हंस थे। नल को वे बहुत अच्छे लगे और उसने उन में से सबसे बड़े हंस को पकड़ लिया। वह हंसों का राजा था। पकड़े जाने से वह बहुत डर गया था। 

उसने कहा, "प्रो राजा नल, मुझे प्राण दान दो, घर पर मेरे बच्चे और पत्नी हैं। यदि तुम मुझे कुछ हानि पहुँचाओगे तो वे दुःख के कारण मर जायेंगे। कृपा कर मुझे जाने दो। यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हारे बहुत काम आऊंगा।" 

"तुम्हें मैं किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाऊँगा,” नल ने उत्तर दिया। "तुम इतने सुन्दर हो कि मैं तुम्हें केवल अपने हाथों में लेना चाहता था। तुम जहाँ चाहो जा सकते हो। लेकिन तुम मेरी क्या सेवा करना चाहते हो?"

"तुम्हारे बारे में संसार में सब लोग जानते हैं|" हंस ने कहा, “तुम एक अच्छे राजा हो, नवयुवक और सुन्दर भी हो। सारी दुनिया की सैकड़ों राजकुमारियाँ तुमसे विवाह करने के सपने देख रही हैं। लेकिन तुम्हारे योग्य केवल एक ही राजकुमारी है।" 

“वह कौन है?"

“वह है दमयन्ती !” हंस ने कहा, “वह विदर्भ के राजा भीम की कन्या है। वह इतनी सुन्दर है कि सुन्दरता की देवी भी उससे ईर्ष्या करती है।"

"मैं उससे कैसे मिल सकता हूँ ?" नल ने पूछा।

“यदि तुम मुझे छोड़ दो,” हंस ने उत्तर दिया, “तो मैं दमयन्ती के पास जाकर तुम्हारे बारे में उससे बातचीत करूँगा। मुझे विश्वास है कि वह तब तुम्हें देखने को उत्सुक हो उठेगी।" 

"बहुत बहुत धन्यवाद,” नल बोला, “दमयन्ती से मिलने के बाद क्या यहाँ आकर मुझे बताओगे कि उसने क्या कहा है?"

"अवश्य बताऊँगा," हंस ने उत्तर दिया।

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel