साथ के पल ,

वे तेरी मुस्कान के पल ,

ओह!कितने मधुर, कितने

अमर पल थे जिये मैंने ।

साथ के पल वे तेरी मुस्कान के पल।

**

वे प्रमन पल ,

जोकि सज्जित थे नयन जल ,

हों कि जैसे गोल पातों पर

कमल की ओस का जल ।

साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।

**

वे सुखद पल ,

जब स्पन्दित था ह्र्दयतल।

अकथ एक अनुभूति जैसे ,

नीर निर्झर की खनक

आवाज कलकल ।।

साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।।

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel