न रवा कहिये न सज़ा कहिये
कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये

दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़
इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये

वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं
मानता ही न था ये क्या कहिये

आ गई आप को मसिहाई
मरने वालो को मर्हबा कहिये

होश उड़ने लगे रक़ीबों के
"दाग" को और बेवफ़ा कहिये

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel