कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले
तलाश में हो कि झूठा कोई गवाह मिले
तेरा गुरूर समाया है इस क़दर दिल में
निगाह भी न मिलाऊं तो बादशाह मिले
मसल-सल ये है कि मिलने से कौन मिलता है
मिलो तो आँख मिले, मिले तो निगाह मिले
कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले
तलाश में हो कि झूठा कोई गवाह मिले
तेरा गुरूर समाया है इस क़दर दिल में
निगाह भी न मिलाऊं तो बादशाह मिले
मसल-सल ये है कि मिलने से कौन मिलता है
मिलो तो आँख मिले, मिले तो निगाह मिले