नाच्यो बहुत गोपाल अब मैं
नाच्यो बहुत गोपाल ,

काम क्रोध को पहिर चोलना
कंठ विषय की माल,
अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल

तृष्णा नाद करत घट भीतर
नाना विधि दे ताल,
भरम भयो मन भयो पखावज
चलत कुसंगत चाल,
अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल

सूरदास की सबे अविद्या
दूर करो नन्दलाल,
अब में नाच्यो बहुत गोपाल

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel