तेरी बन जैहैं गोविन्द, गुन गाये से, रामगुण गायेसे॥टेर॥१॥
ध्रुवकी बन गई, प्रह्लादकी बन गई।
द्रौपदीकी बन गई, चीरके बढ़ाये से॥ तेरी०॥१॥
बालीकी बन गई,सुग्रीवकी बन गई।
हनुमतकी बन गई, सिया-सुधि लाये से॥ तेरी०॥२॥
नन्दकी बन गई, यशोदाकी बन गई।
गोपियनकी बन गई, माखनके खवाय से॥ तेरी०॥३॥
गजकी बन गई, गीधकी बन गई।
केवटकी बन गई, नाव पै चढ़ाये से॥तेरे०॥४॥
ऊधवकी बन गई, भीष्मकी बन गई।
अर्जुनकी बन गई, गीता-ज्ञान पाये से॥ तेरी०॥५॥
तुलसीकी बन गई, सूराकी बन गई।
मीराकी बन गई, गोविन्द के रिझाये से॥तेरी०॥६॥

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel