बादशाह अकबर जंग में जाने की तैयारी कर रहे थे। फौज पूरी तरह तैयार थी। बादशाह भी अपने घोड़े पर सवार होकर आ गए। साथ में बीरबल भी था। बादशाह ने फौज को जंग के मैदान में कूच करने का निर्देश दिया।

बादशाह आगे-आगे थे, पीछे-पीछे उनकी विशाल फौज चली आ रही थी। रास्ते में बादशाह को जिज्ञासा हुई और उन्होंने बीरबल से पूछा—”क्या तुम बता सकते हो कि जंग में जीत किसकी होगी ?”

“हुजूर, इस सवाल का जवाब तो मैं जंग के बाद ही दूँगा।” बीरबल ने कहा।

कुछ देर बाद फौज जंग के मैदान में पहुंच गई। वहां पहुंचकर बीरबल ने कहा—”हुजूर, अब मैं आपके सवाल का जवाब देता हूं और जवाब यह है कि जीत आपकी ही होगी।”

“यह तुम अभी कैसे कह सकते हो, जबकि दुश्मन की फौज भी बहुत विशाल है।” बादशाह ने शंका जाहिर की।

“हुजूर, दुश्मन हाथी पर सवार हैं और हाथी तो सूंड से मिट्टी अपने ऊपर ही फेंकता है तथा अपनी ही मस्ती में रहता है, जबकि आप घोड़े पर सवार है और घोड़ों को तो गाजी मर्द कहा जाता है। घोड़ा आपको कभी धोखा नहीं देगा।” बीरबल ने कहा।

उस जंग में जीत बादशाह अकबर की ही हुई।

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel

Books related to अकबर बीरबल


मुगल-ए-आजम
कौटुंबिक प्रेमकथा भाग १
बौद्धसंघाचा परिचय
मोहम्मद आयशाचे शापित जहाज
बुद्ध, धर्म आणि संघ
गौतम बुद्ध
महाभारतातील विस्मृतीत गेलेल्या कथा
इन्फिनिटी
ओघळ काजळमायेचे
दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी
आपणच विजयी होऊया
मृत्यूच्या घट्ट मिठीत
गावांतल्या गजाली
खेळ संपला
किनारा