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मिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाएँ
/ पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे
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पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे
कंधा भी कहारों को बदलने नहीं देते
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