जब तक तू था, मैं था
बाद तेरे भी आवारा रहा
मुकाम तेरी गलियों का
शायद मैं था ..

जब तक तू चला, मैं चला
बाद तेरे भटकता आज भी हुँ
निशान तेरे कदमों का
शायद मैं था ..

जब तक तूने पुकारा, मैं आया
बाद तेरे, सदाए तेरी
अब भी हैं दरम्यान कानो के
पहचान तेरे आवाज़ की
शायद मैं था ..

जब तक तू दिखा, मैं दिखा
बाद तेरे आइने में
कोई अक्स नहीं
तेरे रूप का वो अक्स पराया
शायद मैं था ..

जब तक तू सिसका, मैं सिसका
बाद तेरे भी है नम आँखे
किनारा उन बेक़सूर मोतियों का
शायद मैं था..

जब तक तूने याद किया
मैंने याद किया
बाद तेरे भी सालती रही याद
मेरी यादों में
घुलने वाला तू रहा
तेरी यादों से
हर्फ़ दर हर्फ़ मिटने वाला
शायद मैं था..

जब तक तू भुलाया, मैं भुलाया
बाद तेरे भी है
आदत भूलने की
तूने हमको भुलाया
हमको हमसे भुलाने वाला
शायद मैं था..

जब तक तू दिल मे रुका, मैं रुका
बाद तेरे भी दिल ढूंढ रहा
निशान उसके अपनो के
मेरे दिल से गुजरने वाला तू रहा
तेरे दिल पे ठहरने वाला
शायद मैं था..

जब तक तूने कसम निभाई
मैं तेरा इक वादा रहा
बाद तेरे भी मैं जोड़ रहा
धागे तेरे वादों के
तूने प्रीत पिरोई धागों में
टूटते धागों में उलझता
शायद मैं था..

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