जो भी तर्क पेश किये गए हैं वह एक और कोशिश है हिन्दू इतिहास में प्रचलित कथाओं और किरदारों को झूठा साबित करने की |पद्मावती कोई कथा का हिस्सा नहीं है | उनकी याद आज भी चित्तोड़ के कई मंदिरों में तस्वीरों के रूप में जीवित है |और यही नहीं इन मंदिरों में आज भी रानी पद्मावती को देवी रूप में पूजा जाता है |कई सालों से पारम्परिक तरीकों से उनकी पूजा इन मंदिरों में हो रही है |जिस परंपरा को इतने सालों से अहमियत दी गयी है उसे तोड़ने की कोई भी कोशिश ज़ाहिर है विवाद का विषय बनेगी ही|
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