बात तब की है जब श्रिष्टि के विकास में रत थे ब्रह्मा, उसी समय उन्होंने अपनी मानस पुत्री अहिल्या की रचना थी जिसको ये वर था की वो ताउम्र सोलह वर्ष की युवती ही रहेगी| ऐसे इंद्र और देवता उसे अपना बनाने केलिए तड़पने लगे, तब ब्रह्मा ने एक स्पर्धा रखी जिसमे गौतम ऋषि जीते और उनका विवाह अहिल्या से हुआ.|लेकिन इंद्र की वासना शांत न हुई वो इस ताक में रहता था की कब अहिल्या को अपना बनाएं , ऐसे में उसे एक दिन मौका मिला| गौतम ऋषि सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मुर्गे की बांग पे उठते नदी में स्नान करते और फिर अपने दैनिक कर्मो में लगते थे|

इसी गतिविधि को समझ कर इंद्र ने रात में दो बजे ही मुर्गा बांग दी और गौतम ऋषि नदी में स्नान करने निकल गए, तब इंद्र ने अपनी माया से गौतम का रूप धरा और अहिल्या के साथ दुष्कर्म किया | इंद्र इतना मस्त हो गया की उसे समय का आभास न रहा पर जब मुर्गे ने बांग दी तो वो भगा, लेकिन उसे जाते समय अपने ही रूप में गौतम ने देख लिया और पूरी बात समझ गए.उन्होंने अपनी पत्नी अहिल्या को इंद्र को न पहचानने के लिए पत्थर की चट्टान बनने का श्राप दिया जिसे बाद में वरदान में बदल दिया और भगवन राम ने उसकी मुक्ति कराइ| लेकिन इंद्र को इतना जघन्य श्राप दिया की उसे सोच के भी कोई कांप उठे. इंद्रा को उन्होंने श्राप दिया की जिस महिला के अंग  के मोह में तू अँधा हो गया तेरे पुरे शरीर पे वो हजार की संख्या में हो जाएगी.

इस श्राप का तुरंत प्रभाव हुआ और इंद्र के पुरे शरीर पर योनि ही योनि नजर आ रही थी, जब इंद्र वापस स्वर्ग पहुंचा तो अप्सराये देवगन भी उसका उपहास उड़ने लगे. तब इंद्र ने स्वर्ग छोड़ दिया और किसी अँधेरी और सुनसान गुफा में रहने लगा, वंही उसने भगवन शिव की तपस्या की और तब जाके ऋषि ने हजार साल बाद अपने कोप को थोड़ा कम किया और योनि को आँखों में बदला तब से इंद्र को हजार आँखों वाला कहते है|
Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel