मोहन सिंह का काम इतना शानदार था की उसके ऊपर स्पेशल 26 नाम की फिल्म बनायीं गयी | मोहन ने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक इश्तेहार दिया जिसमें उसने “ ख़ुफ़िया काम के लिए बुद्धिमान स्नातकों” की मांग की | आवेदनकर्ताओं को 10 बजे से 5 बजे के बीच ताज इंटरकांटिनेंटल आने को कहा गया | 26 को अंत में चुना गया जिनमें से कुछ पहले ही सरकारी नौकरियों में कार्यरत थे | अगले दिन इन 26 को सुबह 11 बजे बुलाया गया जहाँ मोहन ने इन्हें नकली पहचान पत्र दिए | एक घंटे बाद वह लोग नकली रेड करने ओपेरा हाउस पहुंचे जहाँ शहर के सबसे ज्यादा गहनों की दुकानें थीं | 

इसके बाद सिंह सब जगहों से गहनों को उठा कर  बैगस में रखने लगा | उन्हें सरकारी सील लगे बैग्स में पर्ची लगा कर रख दिया गया | सिंह ने फिर अपने साथियों को बोला की वह इंतजार करें तब  तक वह दूसरी दुकान देख के आता है |फिर वह वापस होटल गया अपना सामान उठाया और गायब हो गया | उसने कोई निशानी नहीं छोड़ी | मोहन सिंह को अभी तक पकड़ा नहीं गया है | 


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