एफ़्बीआई की एक सालाना परंपरा है  जिसमें किसी हिंसक अपराध में सजा दिलवाने वाले किसी एक  फिंगरप्रिंट तकनीशियन को पुरस्कृत किया जाता है  | २०११ में ये पुरस्कार जीतने वाले ने १९६९ के एक केस में खुलासा किया था | 

१९६९ क्रिसमस के समय हॉस्टन में टेलीफोन ऑपरेटर डायने जैक्सन को अपने कार्यक्षेत्र के पार्किंग एरिया से अगवा कर लिया गया | पास ही की एक शैक में उसके साथ बलात्कार कर उसका गला घोंट और चाकू मार कर उसकी हत्या कर दी गयी | पुलिस को उँगलियों के निशान मिले पर जब वह किसी से मेल नहीं खाते थे तो वह कुछ ज्यादा मददगार साबित नहीं हुए | 

१९८९ में जैक्सन का भाई जो अब पुलिस में अफसर था , उसने दुबारा केस की शुरुआत की | एक हॉस्टन के अख़बार ने जनता से गुज़ारिश की अगर कोई जानकारी उन्हें मिले तो वो आगे मुहैया करें | तकनीकी विकास होने से और फिंगरप्रिंट  के लिए डेटाबेस बनने से , उस फिंगरप्रिंट को दुबारा ढूँढा गया | स्थानीय डेटाबेस में से कोई भी नतीजा नहीं निकला | 

फिर जुलाई २००३ में एफ बी आई तकनीशियन जिल किन्कडे को ७० लाख लोगों के फिंगरप्रिंट्स में सिर्फ 5 घंटे ढूँढने के बाद मेल खाते कुछ प्रिंट मिले |किन्कडे ने उसमें से २० संभावित गुनह्गारों की एक सूची बनायी , जिसमें से एक पर पुलिस की पैनी नज़र थी और वो था जेम्स रे दविएस | दविएस को पूछताछ के लिए बुलाया गया और पता चला की जैक्सन के क़त्ल से कुछ दिनों पहले ही वह जेल से छूटा था | 
24 नवम्बर २००३ को अपनी बहन के क़त्ल के तीन दशक के बाद डेविड जैक्सन ने उसके कातिल को अपना गुनाह कबूलते देखा | दविएस को उसकी  बाकी की ज़िन्दगी के लिए जेल भेज दिया गया | 

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