शनिवारवाडा पुणे का किला और महल, मराठा राज्य के पेशवा राजाओं की गद्दी की स्थापना बाजीराव ने की थी |
- बाजीराव जिन्होनें ४१ से ज्यादा बड़े युद्ध लड़े हैं और कई और भी , ऐसा बताया जाता है की उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा |
- वह पहले शख्स थे जिन्होनें अपने पिता की तरह टूटते मुग़ल सल्तनत की कमजोरियों को समझ उनका फायदा उठाया | मुग़ल दरबार में स्येद भाइयों के घटते रुबव के चलते भी उन्होनें हमला करने का फैसला लिया |
- बाद के राज्य ग्वालियर के सिंदिया (रानोजी शिंदे ) , इंदौर के होलकर (मल्हारराव ) , बरोदा के गएकवाढ(पिलाजी) और धर के पवार (उदैजी) बाजीराव द्वारा मराठा राज्य को बढ़ाने के लिए और मुग़ल सल्तनत को बिखरने के लिए स्थापित किये गए | इसके लिए उन्होनें अपने जागीरदारों को स्थापित किया |
- उन्होनें अपना निवास सस्वाद से और मराठा राज्य की प्रशासनिक राजधानी को १७२८ में सतारा से पुणे में बदल दिया | इस प्रक्रिया में उन्होनें एक कसबे को बड़ा शहर बनाने की नींव रखी | उनके सेनापति बापूजी श्रीपत ने सतारा के कई आमिर परिवारों को पुणे शहर जो १८ पेठों में बंटा था में बसने के लिए मनाया |
- १७३२ में महाराजा छत्रसाल जो मराठा राज्य के पुराने दोस्त थे के निधन के बाद बाजीराव को छत्रसाल के बुंदेलखंड के राज्य का एक तिहाई हिस्सा हासिल हुआ |
- एक महान सेना नेता बाजीराव को उसकी सेना और लोगों से बहुत प्यार मिला | माना जाता है की उन्होनें धर्म की रक्षा के लिए भी लडाई लड़ी और मुग़लों को मध्य और पश्चिम भारत से पूरी तरह से खदेड़ उत्तर की तरफ अपना लक्ष्य साधा | उनके नेतृत्व में मराठा ने सिद्दी , मुग़लों , पुर्तगाली , निज़ाम और बंगाश को हार का मुंह दिखाया |
- उन्हें शिवाजी महाराज के बाद मराठा राज्य जो की भारत उप महाद्वीप पर पूरे १८ शताब्दी और अंग्रेजों के आने से पहले तक १९ शताब्दी में हावी होने वाला था की स्थापना एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन के की |