निकट भीमाके तट ठारे कर रखाये कट ।
देखो ऐसा मुरशद मौला करो नामसे लूट ॥१॥

साईं बिटपर देखो अंतर ध्यान रखो ॥ध्रु०॥

भगत पुंडलीक उनोदे खातर बैकुंठ छोड आयो ।
भीमा किनारे पग जोगकर ठारा बीटपर रहायो ॥२॥

गावत नाचत सबही संत नर और नारी ।
परचित देखो समाधी उन्मनी डारे सबसे फेरी ॥३॥

कहत कबीर सुनो भाई साधु तुलसी और बुका ।
और कुच मांगे नहीं भाव भक्तीसे भूका ॥४॥

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