तिरे इश्क़ की इंतहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख, क्या चाहता हूँ

सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी [1]
कोई बात सब्र-आज़मा [2] चाहता हूँ

वो जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों[3] को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऎ अहले-महफ़िल
चिराग़े-सहर[4] हूँ बुझा चाहता हूँ

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब[5] हूँ सज़ा चाहता हूँ

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