महावीर हनुमानजी के द्वारा लंका से फ़ेंका हुआ अलौकिक शनिदेव का पिण्ड है, शनिशचरी अमावश्या को यहां मेला लगता है। और जातक शनि देव पर तेल चढाकर उनसे गले मिलते हैं। साथ ही पहने हुये कपडे जूते आदि वहीं पर छोड कर समस्त दरिद्रता को त्याग कर और क्लेशों को छोड कर अपने अपने घरों को चले जाते हैं। इस पीठ की पूजा करने पर भी तुरन्त फ़ल मिलता है।

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