निरंजनस्वामीकृत अष्टक

वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्‍चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.

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