एड्स का एक बड़ा दुष्प्रभाव है कि समाज को भी संदेह और भय का रोग लग जाता है। यौन विषयों पर बात करना हमारे समाज में वर्जना का विषय रहा है। निःसंदेह शतुरमुर्ग की नाई इस संवेदनशील मसले पर रेत में सर गाड़े रख अनजान बने रहना कोई हल नहीं है। इस भयावह स्थिति से निपटने का एक महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक बदलाव लाना भी है। एड्स पर प्रस्तावित विधेयक[69] को अगर भारतीय संसद कानून की शक्ल दे सके तो यह भारत ही नहीं विश्व के लिये भी एड्स के खिलाफ छिड़ी जंग में महती सामरिक कदम सिद्ध होगा।

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel