दुनिया भर में इस समय लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग एच.आई.वी का शिकार हैं। इनमें से दो तिहाई सहारा से लगे अफ़्रीकी देशों में रहते हैं और उस क्षेत्र में भी जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज़्यादा है वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है। दुनिया भर में लगभग 14,000 लोगों के प्रतिदिन इसका शिकार होने के साथ ही यह डर बन गया है कि ये बहुत जल्दी ही एशिया को भी पूरी तरह चपेट में ले लेगा। जब तक कारगर इलाज खोजा नहीं जाता, एड्स से बचना ही एड्स का सर्वोत्तम उपचार है।


  • एच.आई.वी. तीन मुख्य मार्गों से फैलता है
  1. मैथुन या सम्भोग द्वारा (गुदा, योनिक या मौखिक)
  2. शरीर के संक्रमित तरल पदार्थ या ऊतकों द्वारा (रक्त संक्रमण या संक्रमित सुइयों के आदान-प्रदान)
  3. माता से शीशु मे (गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान द्वारा)
  4. मल, नाक स्रावों, लार, थूक, पसीना, आँसू, मूत्र, या उल्टी से एच. आई. वी. संक्रमित होने का खतरा तबतक नहीं होता जबतक कि ये एच. आई. वी संक्रमित रक्त के साथ दूषित न हो


मैथुन या सम्भोग द्वारा एच. आई. वी. संक्रमण

एचआईवी संक्रमण की सबसे ज्यादा विधा संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से है। दुनिया भर में एच. आई. वी. प्रसार के मामलों के सबसे अधिक मामले विषमलैंगिक संपर्क (यानी विपरीत लिंग के लोगों के बीच यौन संपर्क जैसे कि पुरुष एवं स्त्री के बीच) के माध्यम से होते हैं। हालांकि, एच. आई. वी. प्रसार भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न तरीकों से हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 2009 तक[26], सबसे अधिक एच. आई. वी. प्रसार उन समलैंगिक पुरुषों में हुआ जो कि सभी नए मामलों की 64% आबादी के बराबर थी. असुरक्षित विषमलिंगी यौन संबंधो के मालमे में अनुमानतः प्रत्येक यौन सम्बन्ध में एचआईवी संक्रमण का जोखिम कम आय वाले देशों में उच्च आय वाले देशों कि तुलना से चार से दस गुना ज्यादा होता है[28]. कम आय वाले देशों में संक्रमित महिला से पुरुष में संक्रमण का जोखिम ०.३८% है जबकि पुरुषों से महिला में संक्रमण का जोखिम ०.३०% है। उच्चा आय वाले देशो में यही जोखिम महिला से पुरुष में ०.०४% तथा पुरुष से महिला में ०.०८% है। गुदा सम्भोग द्वारा एच. आई. वी. संक्रमण का जोखिम विशेष रूप से ज्यादा होता है जो कि विषमलिंगी तथा समलिंगी दोनों प्रकार के यौन संबंधों में १.४-१.७% तक होता है[29][30]. मुख मैथुन के द्वारा एच. आई. वी. संक्रमण का खतरा थोडा कम होता है लेकिन खत्म नहीं होता[31].


शरीर के संक्रमित तरल पदार्थ या ऊतकों द्वारा (रक्त संक्रमण या संक्रमित सुइयों के आदान-प्रदान)

एचआईवी के संक्रमण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रक्त और रक्त उत्पाद के द्वारा हैं. रक्त के द्वारा संक्रमण नशीली दवाओ के सेवन के दौरान सुइयों के साझा प्रयोग के द्वारा, संक्रमित सुई से चोट लगने पर, दूषित रक्त या रक्त उत्पाद के माध्यम से या उन मेडिकल सुइयों के माध्यम से जो एच. आई. वी. संक्रमित उपकरणों के साथ होते हैं। दवा के इंजेक्शन आपस में बाँट कर लगाने से इसके फ़ैलाने का जोखिम ०.६३-२.४% होता है, जोकि औसतन ०.८% होता है. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल की हुई सुई के माध्यम से एचआईवी होने का जोखिम 0.3% प्रतिशत होता है (३३३ में १) और श्लेष्मा झिल्ली के खून से संक्रमित होने का जोखिम ०.०९% होता है (१००० में १). संयुक्त राज्य अमेरिका में २००९ में १२% मामले ऐसे लोगों के आए हैं जो कि नसों में नशीली दवाओं का उपयोग करते थे[34] और कुछ क्षेत्रों में नशीली दवाओं का सेवन करने वालों में से ८०% से ज्यादा लोग एचआईवी पोजिटिव मिले]. एच. आई. वी. संक्रमित रक्त का प्रयोग करने से संक्रमण का जोखिम ९३% तक होता है[36]. विकसित देशों में संक्रिमित रक्त से एचआईवी प्रसार का जोखिम बहुत ही कम है (५,००,००० बार में से १ बार से भी कम) क्योकि वह रक्त देने वाले व्यक्ति कि एच. आई. वी. जांच उसका रक्त लेने के पहले कि जाती है. ब्रिटेन में जोखिम औसतन पचास लाख में से १ से भी कम की है. हालांकि, कम आय वाले देशों में रक्त का इस्तेमाल करने के पहले केवल आधे रक्त कि उचित रूप से जाँच होती है (२००८ के रिपोर्ट के अनुसार)[39]. यह अनुमान है कि इन क्षेत्रों में १५% एचआईवी संक्रमण का आधार रक्त या रक्त उत्पादों से होता है, जो कि वैश्विक संक्रमण का ५-१०% है. उप सहारा अफ्रीका में एचआईवी के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका असुरक्षित चिकित्सा सुइयां निभाते हैं। २००७ में इस क्षेत्र में संक्रमण (१२-१७%) का कारण असुरक्षित चिकित्सा सुइयां ही थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार चिकित्सा सुइयों के द्वारा एच. आई. वी. संक्रमण का जोखिम अफ्रीका में १.२% मामलों में होता है. टैटू बनाने या बनवाने, खुरचने से भी सैद्धांतिक रूप संक्रमण का जोखिम बना रहता है लेकिन अभी तक किसी भी ऐसे मामले के पुष्टि नहीं हुई है। मच्छर या अन्य कीड़े कभी एचआईवी संचारित नहीं कर सकते हैं[43].


माँ से बच्चे में एच. आई. वी. संक्रमण

एचआईवी माँ से बच्चे को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के दौरान और स्तनपान के दौरान प्रेषित हो सकता है. एचआईवी दुनिया भर में फैलने का यह तीसरा सबसे आम कारण है[46]. इलाज के आभाव में जन्म के पहले या जन्म के समय इसके संक्रमण का जोखिम २०% तक होता है और स्तनपान के द्वारा यही जोखिम ३५% तक होता है. वर्ष २००८ तक बच्चो में एचआईवी का संक्रमण ९०% मामलों में माँ के द्वारा हुआ। उचित उपचार होने पर माँ से बच्च्चे को होने वाले संक्रमण को कम कर के यह जोखिम ९०% से १% तक लाया जा सकता है[48]. माँ को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान एंटीरेट्रोवाइरल दवा दे कर, वैकल्पिक शल्यक्रिया (आपरेशन) द्वारा प्रसव करके, नवजात शिशु को स्तनपान से न करा के तथा नवजात शिशु को भी एंटीरिट्रोवाइरल औषधियों कि खुराक देकर माँ से बच्चे में एच. आई. वी. का संक्रमण रोका जाता है. हलांकि इनमें से कई उपाय अभी भी विकासशील देशों में नहीं हैं। यदि भोजन चबाने के दौरान संक्रमित रक्त भोजन को दूषित कर देता है तो यह भी एच. आई. वी. संचरण का जोखिम पैदा कर सकता है.

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