<p dir="ltr">बयां करूं क्या दिले हाल अपना,<br>
बस चोट खाये हुए हैं।<br>
अपनो कि भरी मेहफिल मे,<br>
गले तन्हाई लगाये हुए हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
फिकर मत करो यारों,<br>
ये तो खुदा कि मंजर है।<br>
जुबां पे सरगम हाथो में खंजर है।<br>
तारिफ करुं मैं किसकी,<br>
किसकी शिकायत करूं।<br>
बारी-बारी से सबसे <br>
अजमाएं हुये हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
तोड़ा किसी ने दिल अपना,<br>
किसी ने मरहम लगाया।<br>
सबने खेलने का यहां,<br>
भरकस कोशिश है दिखाया।<br>
खिलौना बना हूँ,<br>
मैं यहां अपनो के मेले में।<br>
जी भर के खेला सबने,<br>
कोई मेले में कोई अकेले में।<br>
गिला नही किसी से,<br>
रंग हसीं का लगाये हुए है।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
रूपये-पैसों की बनी ये दुनियां,<br>
जज्बातों का यहां कोई मोल नही।<br>
ए खुदा, गजब तेरी दुनियां<br>
इसका कोई जोड़ नहीं।<br>
बन्दे मांगते है तुम्हीं से,<br>
तुम्हीं को चढ़ाते हैं।<br>
लगी है होड़ रिश्वत कि ,<br>
यहां हरेक दफ्फतर में।<br>
न जाने मुझे हुआ है क्या ,<br>
बेगानो को अपना बनाए हुए हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
- गौतम गोविन्द</p>
बस चोट खाये हुए हैं।<br>
अपनो कि भरी मेहफिल मे,<br>
गले तन्हाई लगाये हुए हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
फिकर मत करो यारों,<br>
ये तो खुदा कि मंजर है।<br>
जुबां पे सरगम हाथो में खंजर है।<br>
तारिफ करुं मैं किसकी,<br>
किसकी शिकायत करूं।<br>
बारी-बारी से सबसे <br>
अजमाएं हुये हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
तोड़ा किसी ने दिल अपना,<br>
किसी ने मरहम लगाया।<br>
सबने खेलने का यहां,<br>
भरकस कोशिश है दिखाया।<br>
खिलौना बना हूँ,<br>
मैं यहां अपनो के मेले में।<br>
जी भर के खेला सबने,<br>
कोई मेले में कोई अकेले में।<br>
गिला नही किसी से,<br>
रंग हसीं का लगाये हुए है।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
रूपये-पैसों की बनी ये दुनियां,<br>
जज्बातों का यहां कोई मोल नही।<br>
ए खुदा, गजब तेरी दुनियां<br>
इसका कोई जोड़ नहीं।<br>
बन्दे मांगते है तुम्हीं से,<br>
तुम्हीं को चढ़ाते हैं।<br>
लगी है होड़ रिश्वत कि ,<br>
यहां हरेक दफ्फतर में।<br>
न जाने मुझे हुआ है क्या ,<br>
बेगानो को अपना बनाए हुए हैं।<br>
बयां करूं क्या दिल.....<br>
- गौतम गोविन्द</p>