अपनी कीर्ति और राज्य की सीमा बढ़ाने के लिए कई बार कुछ राजा राजसूय यज्ञ आयोजित करते थे | इस में वह अलग अलग राज्यों से कर भरने को कहते थे | अगर कोई राज्य मर्ज़ी से कर देने को तैयार हो जाता था तो राजा उससे मित्रता का व्यव्हार किया जाता था | लेकिन अगर वही राजा कर देने से इंकार कर देता था तो राजा उस के राज्य पर आक्रमण कर देता था | युद्ध में उसको हराकर फिर क़र्ज़ वसूला जाता था |