युधिष्टिर –युधिष्ठिर ने दोनों अश्वमेध एवं राजसूय यज्ञ करवाए थे | जहाँ राजसूय यज्ञ इन्द्रप्रस्थ की स्थापना के बाद किया गया था अश्वमेध महाभारत के युद्ध के पश्चात कराया गया था |

श्री राम – श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ करवया था | वह कराना तो राजसूय यज्ञ चाहते थे और भारत भी सहमत थे लेकिन लक्ष्मण की स्वीकृति नहीं थी | लक्ष्मण ने कहा की अश्वमेध की महिमा ज्यादा है इसलिए श्री राम ने उसका आयोजन किया |

राजा सुहोत्र – महाभारत में लिखा है की राजा सुहोत्र ने 1000 अश्वमेध , 100 राजसूय और अन्य कई क्षत्रिय यज्ञ करवाए थे |

ययाति - राजा ययाति ने सौ राजसूय, सौ अश्वमेध, हजार पुंडरीक याग, सौ वाजपेय, हजार अतिरात्र याग तथा चातुर्मास्य और अग्निष्टोम आदि यज्ञ कराये थे ।ऐसा महाभारत में वर्णित है |

राजा श्वेतिक – बेहद पराक्रमी राजा श्वेतिक इतने यज्ञ करवाते थे की उनके राज्य के ब्राह्मण परेशान हो जाते थे |उन्होनें दुर्वासा से भी यज्ञ करवया था | इन्हीं यज्ञों के प्रताप से उन्हें अंत में स्वर्ग की प्राप्ति हुई |

राजा जनमजेय – अर्जुन के पौते जनमजेय को जब पता चला की उनके पिता की मौत सर्प के काटने से हुई थी तो वह क्रोधित हुए | उन्होनें उसी पल सर्प यज्ञ आयोजित कराया | इस यज्ञ में कई सांप  जलकर भस्म हो गए थे। जनमेजय ने आस्तिक मुनि के कहने पर यह यज्ञ संपूर्ण नहीं किया था।


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