ये तो हमें बचपन से सिखाया जाता है की किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूर मदद करें जो दुखी है | पर अगर कोई हमेशा दुखी रहता हो तो आप क्या करेंगे | ऐसे लोग बिना बात के मुद्दों पर दुःख प्रकट करते रहते हैं | यही नहीं उनकी इस आदत का असर आप पर भी पड़ता है और आप भी उन्ही जैसी मानसिकता रखने लग जाते हैं | इसके इलावा आप की भी सोच उन जैसी होने लग जाती है | ऐसे में चाणक्य कहते हैं की इस तरीके के लोगों से सम्बन्ध कम कर देना बेहतर होता है | वह ना तो स्वयं खुश रहते हैं न आपको कभी खुश रहने देंगे |
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