अक्सर हमारे बोल बने बनाये खेल बिगाड़ देते हैं | एक बार द्रौपदी अपने महल में झरोके में खड़ी थीं | भाग्यवश दुर्योधन वहां से गुज़रा और बिना देखे पानी के सरोवर में गिर गया | इस पर द्रौपदी ने कहा “अंधे का पुत्र अँधा”| अगर उस समय द्रौपदी अपने वचनों पर थोडा नियंत्रण रखती तो शायद ये युद्ध कभी नहीं होता | इसके इलावा शिशुपाल के वचन और शकुनी की बातें भी काफी कठोर थी | इसलिए कहा जाता है की वाणी को सदेव मधुर रखना चाहिए |

पांडवों का विनाश तब हुआ जब उन्होनें जुए जैसी आदत को अपना लिया | इसके चलते शकुनी ने न सिर्फ उनसे उनकी बनी बनायी जायदाद ले ली उन्हें द्रौपदी को भी दांव लगाना पड़ गया | इसलिए हमेशा ऐसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए जो हमें बर्बाद कर सकती हैं |

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